एक ठंडी रात। माल के बाहर एक छोटी लड़की खड़ी ठण्ड से काँप रही थी। उसके पैरों में जूते नहीं थे। कपडे भी साधारण से पहने थी । वह सोच रही थी की भगवान अगर उसे जूते दिला देता तो.... । तभी एक महिला की नज़र उस पर पड़ी। महिला उसे प्यार से अपने साथ माल के अन्दर ले गई। उसने उस लड़की के लिए जूते, मोजे और दस्ताने खरीदे। उसे नया स्वेटर दिलवाया। उसके कानो पर नया मफलर लपेटते हुए पूछा अब ठीक है। 'जी' लड़की ने धीरे से कहा। अच्छा अब चलते हैं- कह कर वह महिला बालिका को माल के बाहर छोड़ कर जाने लगी।
'सुनिए' लड़की ने महिला को पुकारा।'हाँ बेटे बताओ' महिला ने मुड़ते हुए पूछा ।
'क्या आप भगवान की पत्नी हैं' लड़की ने प्रश्न किया।
(कई साल पहले टाइम्स आफ इंडिया में छपी लघुकथा की स्मृति के आधार पर)
7 टिप्पणियां:
क्या मासूमियत है ?
PS: pl remove word verification . this serve no purpose.
bhaut sunder
bahut merm he
regards
सुन्दर व प्रसंशनीय अभिव्यक्ति है।
मौका लगे तो विष्णु नागर की `ईश्वर की कहानियां' पढ़िएगा। दीवाली की मुबारकवाद
सुन्दर
Bahut khoob......
बहुत सुंदर मासूम सी बात
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